लेखनी प्रतियोगिता -23-May-2023
शब्दसीढ़ी (आँसू, ख़लिश, अंखियाँ, गम, इंतज़ार)
गम हो या हो चाहे खुशी हम तो यही कहते हैं,
गिला नहीं जिंदगी में दोनों आते जाते रहते हैं।
आँसू भी हमारे दिल की बात यूँ जुबानी कहते हैं,
बहकर इन आंखों से ये कुछ तो कहानी कहती हैं।
गम को बनाकर फसाना जो रखते हैं दिलों में कैद
ज़माने वाले उन्हें ही तो अक्सर दीवाने कहते हैं।
ख़लिश को रिश्तों में बेवजह ना दीजिए यूँ पनाह
प्यार मुहब्बत को इस जिंदगी की रवानी कहते हैं।
ये अंखियां भी दिन-रात सहती हैं जुदाई का सबब,
बेशक इन्हें तो हुस्न औ इश्क़ की निशानी कहते हैं।
बीत जाती तमाम उम्र जिंदगी किसी के इंतजार में,
उनकी होगी जरूर दर्द से कोई दोस्ती पुरानी कहते हैं।
©®उषा शर्मा
जामनगर (गुजरात)
वानी
25-May-2023 11:16 AM
Nice
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Varsha_Upadhyay
24-May-2023 07:59 PM
बहुत खूब
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Swati chourasia
24-May-2023 09:23 AM
बहुत ही सुंदर रचना 👌
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